Loni History Hindi : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित लोनी का इतिहास काफी प्राचीन है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी स्थान पर राम के छोटे भाई शत्रुघ्न ने राक्षस लवणासुर का वध किया था।
इसके साथ ही, इतिहासकारों के अनुसार यह क्षेत्र लोनकरण नामक राजा के आधीन था, जिन्होंने यहां एक किला बनवाया था।
हालांकि सन 1789 के बाद मोहम्मद शाह ने इस किले को नष्ट कर दिया था। लोनी नगर के नाम के बारे में विभिन्न मत है, तो चलिए जानते है लोनी के पुराने इतिहास के बारें में
लोनी नाम कैसे पड़ा
रामायण के अनुसार, लोनी रावण की मौसी कुंभीनसी के पुत्र लवणासुर ने बसाई थी और वहीं कथाओं के मुताबिक एक राजा नामक ‘लोनकरण’ ने लोनी की स्थापना की थी। इसके बाद, उसने किले का निर्माण कराया था, जो कि 1789 ईसवी तक बरकरार रहा। इसके अलावा, कथाओं के मुताबिक 1398 में तैमूरलंग ने लोनी पर आक्रमण किया था।”
कुछ लोगों का मानना है कि यहां का पानी लवणीय (नमकीन) होने के कारण इस स्थान का नाम लोनी पड़ा है।
कुछ अन्य इतिहासकारों के अनुसार, 12वीं शताब्दी के दौरान चौहान वंश के राजा पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में लोनी उनके साम्राज्य का हिस्सा था। उनके शासनकाल के दौरान, उन्होंने सम्राट समुद्रगुप्त के किले और कोट वंश की किले की जिर्णोद्धार करवाया था। आज भी इस किले के अवशेष यहां मौजूद हैं।
अफगानी राजा तैमूर ने भारत के उत्तरी हिस्से में प्रवेश करके दिल्ली सल्तनत पर हमला किया और इसके बाद उसने लोनी के ऐतिहासिक किले की कीमती वस्तुओं को लूटकर उसे ध्वस्त करवा दिया था।
लोनी बागराणप का पुराना इतिहास
लोनी का एक किस्सा महाराणा प्रताप से भी जुड़ा है। मुगल काल के दौरान यहां तीन बाग बनवाए गए थे, जिनमें से एक था अरजनी बाग, दूसरा अलदीपुर बाग, और तीसरा रानप बाग था। कथाओं के मुताबिक, कुछ समय महाराणा प्रताप भी इन बाग में रुके थे। इस समय से ही गांव का नाम बागराणप रखा गया है। लोनी और बागराणप गांव स्थित किले के आसपास कई किस्से जुड़े हुए हैं।
अरजनी बाग और अलदीपुर बाग का निर्माण मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की पत्नी जीनत महल ने करवाया था।
हालांकि बाद में अंग्रेजों ने इन बागों पर कब्जा करके मेरठ के शेख इलाही बख्श को उन्हें बेच दिया। वहीं, तीसरे बाग को आम लोगों ने धीरे-धीरे नष्ट कर दिया।
लोनी के लोगों ने तैमूर के साथ मुकाबला करने का निर्णय किया था। तैमूर ने दस हजार लोगों की हत्या कर उनके सिरों को एक स्थान पर एकत्र कर दिया। यह स्थान सिर के टीले पर था और वहां से लाल किला दिखाई देता था।
बागराणप गांव में स्थित किले के बारे में कई पुरानी दास्तानें सुनाई जाती हैं। यहां के लोग बताते हैं कि सनातन धर्म के महाकाव्य रामायण में लोनी का पौराणिक इतिहास है।
क्षेत्र के एक छोटे से गांव में मुगलकालीन किले के रुख रुख के अवशेष मिलते हैं। यहां की लखोरी ईंटों और पत्थरों से बनी दीवारें खुद अपने ऐतिहासिक महत्व की कहानी सुनाती हैं।
वर्षों पूर्व, तालाब के किनारे मिली ईंटों पर ओम और स्वास्तिक के प्राचीन चिन्ह दिखे जाते हैं, लेकिन इनका संरक्षण सरकार के द्वारा उपेक्षित रहा है। आरोप है कि अधिकारीगण की लापरवाही के कारण, इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर का नाश हो रहा है।
ऐतिहासिक मीनार पर बच्चे खेल रहे
बागराणप गांव में पहले एक किला था, जिसके पीछे करीब आठ सौ बीघे का तालाब था। तालाब के किनारे में मीनारें खड़ी थीं, जो अब भी वहीं पर हैं। तालाब की पत्थरों से बनी चारदीवारी भी थी, और इस दीवार के अवशेष आज भी गांव में दिखाई देते हैं।
किले की दीवारें पत्थरों और लखोरी ईंटों से बनी थीं, और इनकी चौड़ाई चार से पांच फीट थी। खुदाई के दौरान, तालाब के नीचे फर्श पर पत्थर मिले, जिन पर ओम और स्वास्तिक के निशान थे।
लाल किले से जुड़ी सुरंग
बागराणप गांव के पूर्व सभासद आदेश कश्यप ने बताया कि कुछ समय पहले, एक सेफ्टी टैंक के लिए खुदाई की गई थी। खुदाई के दौरान, एक सीवर लाइन मिली थी, जो हड़प्पा संस्कृति के अवशेषों से मिलती थी।
यह सीवर लाइन गमले जैसे मिट्टी के गिलास को जोड़कर बनाई गई थी। गांव निवासी देवेंद्र नागर बताते हैं कि खुदाई के समय, मेरठ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर धर्मेंश त्यागी गांव में आए थे और इन्होंने गांव के इतिहास का शोध किया। गांव के लोग यह कहते हैं कि यदि पुरातत्व विभाग इस पर ध्यान देता, तो किले को बचाया जा सकता था।”
शत्रुघन ने लवणासुर का वध यहीं पर किया था
हिंदू मान्यता के अनुसार, लोनी क्षेत्र में एक राक्षस राजा नामक लवणासुर था, जो अक्सर साधु-संतों को परेशान करता था। इसके परिणामस्वरूप, भगवान परशुराम ने भगवान श्रीराम के भाई शत्रुघ्न से उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए विनती की। उसके बाद, शत्रुघ्न ने लवणासुर का वध किया।
एतिहासिक स्थल पर रहने वाले लोग परेशान
लोनी के बागराणप इतिहास के पन्नों में भले ही अपनी विशेष जगह बनाई है, लेकिन यहां रहने वाले लोग मूलभूत समस्याओं का सामना कर रहे हैं। आरोप है कि गांव के अधिकांश रास्ते जर्जर हाल हैं और तालाब में कालोनियों की वजह से जल निकासी में भारी परेशानियां हैं। साथ ही, समुचित दूरी पर खंभे न होने के कारण गलियों में तारों के जाल बिछे हुए हैं।