दिल्ली के वातावरण में वायु प्रदूषण ने सांस लेने में कठिनाइयाँ पैदा कर दी हैं। इस प्रदूषण से लोगों को साँस लेने में तकलीफ हो रही है और इसके चलते कई गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है।
अक्सर यह माना जाता है कि पराली जलाने के कारण दिल्ली की हवा जहरीली हो रही है, लेकिन प्रदूषण के कई अन्य कारण भी हैं। हम आपको इन कारणों के बारे में जानकारी देंगे, प्रदूषण के नुकसानों का विस्तार से वर्णन करेंगे और बताएंगे कि इससे कैसे बचाव किया जा सकता है।
स्मॉग क्या है?
स्मॉग धुएँ और कोहरे का एक घातक मिश्रण है, जो वायुमंडल में मौजूद विषैले गैसों और प्रदूषकों से बनता है। यह आमतौर पर काले या पीले रंग का होता है और दृश्यता को गंभीरता से प्रभावित करता है, जिससे लोगों के दैनिक जीवन पर कई प्रकार की बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।
दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण:
पड़ोसी राज्यों में लगभग 35 मिलियन टन पराली जलाने से उत्पन्न धुएँ की वजह से प्रदूषण फैलता है।
वाहनों से निकलने वाला धुआं भी प्रदूषण को बढ़ाता है। IIT कानपुर के शोध के अनुसार, सर्दियों के दौरान PM 2.5 प्रदूषण का 20% हिस्सा वाहनों के धुएं से आता है।
वाहनों के उत्सर्जन को CPCB और NEERI की रिपोर्ट में दिल्ली की प्रदूषण की समस्या के मुख्य कारकों में से एक माना गया है।
निर्माण साइट्स से धूल और मलबे का उड़ना भी हवा को प्रदूषित करता है।
कचरे का जलाना भी प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत है।
प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य प्रभाव:
श्वास संबंधित बीमारियाँ: प्रदूषण के चलते अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ बढ़ती हैं।
हृदय रोग: प्रदूषित हवा हृदय रोगों का खतरा बढ़ाती है।
कैंसर: कुछ विषैले प्रदूषक, जैसे कि बेंजीन और अस्बेस्टस, कैंसर का कारण बन सकते हैं।
बच्चों में विकासात्मक समस्याएँ: प्रदूषण के चलते बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकासात्मक समस्याएँ हो सकती हैं।
प्रदूषण से बचाव के उपाय:
- सार्वजनिक परिवहन का अधिक इस्तेमाल करना।
- पराली जलाने के विकल्प खोजना और इस्तेमाल करना।
- निर्माण साइट्स पर धूल नियंत्रण के उपाय करना।
- कचरा न जलाने की नीति का पालन करना।
- इस विश्लेषण से हम समझ सकते हैं कि दिल्ली का प्रदूषण सिर्फ एक कारण से नहीं, बल्कि अनेकों कारणों से बढ़ रहा है और इसके निवारण के लिए हमें संयुक्त और सुविचारित प्रयास करने होंगे।
- बाहर की हवा खराब हो, तो घर पर ही रहें। जरूरी हो तो मास्क पहनें।
- घर के अंदर व्यायाम करें।
- धूम्रपान और कचरा जलाना बंद करें।
- ज्यादा पानी पीएं।
- Vitamin C, मैग्नीशियम, और ओमेगा फैटी एसिड वाले फल खाएं।
- बाहरी उत्सवों में जाने से बचें।
- कोयले से बने खाने से दूर रहें।
- जंक फूड कम खाएं।
- सांस से जुड़ी समस्या हो तो डॉक्टर से मिलें।
- प्रदूषण में सांस लेने में दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टरी मदद लें।
- स्टीम बाथ लें।
- बीमार न हों तो काढ़ा पीएं।
- हरी सब्जियां खाएं।
- घर को साफ रखें, एयर प्यूरीफायर लगाएं।
- गुड़ खाएं।
वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सरकार क्या करे?
- सभी मुख्यमंत्रियों और पर्यावरण मंत्री मिलकर तेज़ी से काम करने वाली टीम बनाएं।
- पराली जलाने पर पाबंदी लगाएं और केमिकल से उसे खत्म करें।
- कारखानों को शहर से दूर ले जाएं, चिमनियों में फिल्टर लगाएं।
- आबादी कंट्रोल करें, ताकि पेड़ न कटें।
- प्रदूषण के बारे में लोगों को जागरूक करें।
- गाड़ियों की नियमित जांच करें।
- स्मॉग टावर बनाएं।
- इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा दें।
- संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों के अनुसार काम करें।